लोहिया - आम्बेडकर व समाजवाद

-डा. राममनोहर लोहिया

.... मेरे लिए डा. आम्बेडकर महान आदमी थे ...डा. आम्बेडकर विद्वान थे | उनमे स्थिरता ,साहस व स्वतंत्रता थी| वे बाहरी दुनिया को हिन्दुस्तान की मजबूती के प्रतीक के रूप में दिकाए जा सकते थे | श्रद्धा व सीख के लिए डा. आम्बेडकर को प्रतीक माना जाय और ऐसे आम्बेडकर को देखा जाय जो केवल दलितों के नहीं पूरे देश के नेता हों..

( ०१ जुलाई ,१९५७ हैदराबाद )

-डा. भीम राव आम्बेडकर

.... खाक पॉलिटिक्स करोगे|जब तुम राममनोहर लोहिया को नहीं जानते|एक ही नेता हैं जो इमानदारी से जात-पात तोड़कर जातिहीन समाज की स्थापना करना चाहते हैं| ( बुद्ध्प्रिय मौर्य से संवाद के दौरान, नवम्बर १९५१ )

... भारत के औद्योगीकरण के लिए राजकीय समाजवाद (State Socialism) आवश्यक है| निजी अर्थव्यवस्था ऐसा नहीं कर सकती तथा यदि प्रयत्न किया जाए तो आर्थिक विषमता को ही जन्म देगी|

-डा. राममनोहर लोहिया

समाजवाद ,लोकतंत्र ,अहिंसा ,विकेंदिकरण और समानता -अगर हम सारे विश्व के उचित उद्योगीकरण के सिद्धांत को छोड़ भी दें तो भी ,न केवल भारतीय राजनीति बल्कि सारे विश्व व्यवहार के ये पांच सर्वोच्च सिद्धांत हैं|

  • प्राक्कथन

    Shivpal Singh Yadav "लोहिया-आम्बेडकर व समाजवाद " विषय पर लिखी गई पुस्तक को किसी प्राक्कथन की आवश्यकता नहीं, शीर्षक ही सभी बाते कहने में स्वमेव समर्थ है | बाबा साहब और लोहिया समकालीन थे |दोनों कालजयी चिन्तक,विद्वान और उतने ही समाज सुधारक थे| लोहिया और बाबा साहेब पर अलग-अलग काफी लिखा पढ़ा गया है|इसमें किसी को शक नहीं की महात्मा गाँधी के बाद सबसे वैचारिक रूप से इस देश के जन मानस को आम्बेडकर व लोहिया ने ही प्रभावित किया है|दोनों समाजवाद के प्रबल पैरोकार थे |दलितों,शूद्रों व वंचित वर्ग की समस्याओं व समाधान तथा समाजवाद के विषय में दोनों की सोच

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    फोटो गैलरी



  • Deepak Shivpal

    लोहिया - आम्बेडकर व समाजवाद

    महान समाजवादी चिन्तक व कालजयी विचारक राम मनोहर लोहिया और दलित चेतना के पर्चमपुरुष-ग्यान्पुन्ज बाबा साहब भीमराव रामजी सकपाल (आम्बेडकर) के जीवन-दर्शन और वैचारकी का सम्यक तुलनात्मक अध्यन करने पर पता चला की दोनों में कई साम्य-बिंदु और सादृश्यताये हैं|

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  • लोहिया का ऐतिहासिक उद्बोधन (17 July 1959, हैदराबाद-शिविर)

    जातीय जड़ता का उन्मूलन जरूरी
    इस विषय को मैं थोडा सा बढा दूं,क्योंकि वह जरूरी हैं,की हिन्दुस्तान की राजनीति में तब सफाई और भलाई आएगी जब किसी पार्टी के ख़राब काम,सरकार के ख़राब काम की निंदा दूसरी पार्टी के लोग ही सिर्फ न करे ,बल्कि उस पार्टी के लोग भी करें| यह आज नहीं हो रहा है जब कोई सरकार गोली चलाती है,तब उसकी पार्टी निंदा नहीं करती ,दुसरे सब निंदा करते हैं

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  • बाबा साहेब का क्रांतिधर्मी व्याख्यान (March 1936, मुंबई, महाराष्ट्र)

    जाति विनाश में ही समाज का हित
    मैं जात-पात तोड़कर मंडल के सदस्यों के प्रति क्षमाप्रार्थी हूँ जिन्होंने मुझे इस सम्मलेन की अध्यक्षता के लिए आमंत्रित किया | उझे यकीन है की मुझे अध्यक्ष के रूप में चुनने के लिए उनसे कई सवाल किये गए होंगे | मंडल से पूछा गया होगा की लाहौर में हो रहे सम्मलेन की अध्यक्षता के लिए मुंबई से एक आदमी को क्यों बुलाया गया? मेरा मानना है की मंडल को सम्मलेन की अध्यक्षता के लिए मुझसे बेहतर योग्य व्यक्ति आसानी से मिल सकता था |

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बाबा साहेब व लोहिया के दुर्लब पत्र विनिमय

इन पत्रों के अवलोकन और अध्ययन से पता चलता है की लोहिया और भीम राव आम्बेडकर के मध्य अंतिम दिनों में एक मंच पर आने और साझा करने की भूमिका पूर्णतया बं चुकी थी | दोनों के समर्थक और सहयोगी आपस में एक दुसरे के साथ विचार विनिमय करते थे | लोहिया और आम्बेडकर में किसी भी प्रकार का विरोध नहीं था | दोनों मिलकर भारतीय राजनीति के इतिहास में नए अध्याय का सूत्रपात्र करने ही वाले थे की बाबा साहब का देहावसान हो गया| उपलब्ध पत्रों से स्पष्ट है की बाबा साहब और लोहिया एक दुसरे की विद्वता व योगदान के कायल थे|

मधु लिमये ने बाबा साहब पर पुस्तक डा. राममनोहर लोहिया के निर्देश के बाद लिखा जो बाबा साहब पर लिखी गई सबसे प्रामादिक पुस्तकों में से एक है|

- दीपक मिश्र

लोहिया का पत्र

हैदराबाद, १०-१२-१९५५
मैनकाइंड पूरे मन से जाती समस्या को अपनी सम्पूर्णता में खोलकर रखने का प्रयत्न करेगा |इसीलिये, आप इसके लिए अपना कोई लेख भेज सके तो प्रसन्नता होगी|...

बाबा साहेब का जवाब

दिल्ली, २४-९-१९५८
आपके दो मित्र मुझसे मिलने आये थे |मैंने उनसे काफी देर तक बात चीत की,हालाकि हम लोंगो में आपके चुनाव कार्यक्रम के बारे में कोई बात नहीं हुई|...

लोहिया का प्रत्युत्तर

हैदराबाद, १-१०-१९५६
आपके 24 सितम्बर के कृपा- पत्र के लिए बहुत धन्यवाद | हैदराबाद लौटने पर मैंने आज आपका पत्र पढ़ा और इसलिये आपके सुझाए समय पर दिल्ली पहुच...

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